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कण्वाश्रम का इतिहास

कण्वाश्रम ना तो कोई धार्मिक स्थान है और ना ही कोई दैविक स्थल है, अपितु ये वो भूमि है जो कि इस महान राष्ट भारत की आत्मा है और उस जन्मी उत्सर्जन का प्रतीक है। इस स्थान को उसकी भव्य उॅचाइयों तक पहॅुचाना इस देश के हर नागरिक का कर्तव्य है। विश्व के अनेकों राष्ट मे ऐसे स्मारक है जो कि उनकी राष्टीयत एकता का प्रतीक है और जो उस राष्ट के हर नागरिको को प्रेरित करता है। जन मानस तथा प्रतिष्ठित व्यक्ती इन स्मारक स्थलो मे जा, अपना झुका उस राष्ट के निर्माताओ को श्रद्धाजंली देते है। पर हमारे राष्ट मे ऐसा कोई स्मारक नही है जो इस राष्ट के निर्माता चक्रवर्ती सम्राट भरत को समर्पित हो। यदपि बहुत समय बीत गया पर अभी भी और पडे.....

वृतान्त, खबर तथा घोशणायें

1.   जनवरी 2015    ले0 कमाण्डर वी0एस0 रावत द्वारा लिखित पुस्तक "कण्वाश्रम" का विमोचन श्रीमती रेनू बिष्ट, धर्म पत्नी माननीय श्री वी0 के0 विष्ट कर्यवाहक मुख्य न्यायधीश उत्तराखण्ड हाई कोर्ट दवारा 24 जनवरी को किया गया।

2.   फरबरी 2016    एक सुन्दर प्राप्त मूर्ती के सम्बन्ध मे मुख्यालय पुरात्तव विभाग, नई दिल्ली के सूचित किया गया।

3.   फरवरी 2016    महा निर्देशक पुरात्तव विभाग, नई दिल्ली के आदेश पर देहरादून पुरात्तव विभाग से एक दल मूर्ती के अध्यन के लिए कण्वाश्रम आया।

4.   13 फरबरी 2016     श्री हरीश रावत, माननीय मुख्य मंत्री, उत्तराखण्ड दवारा कण्वाश्रम मे वसन्त पंचमी मेले का उदघाटन किया। पर्यटक गेस्ट हाउस मे कण्वाश्रम पर एक विचार गोष्टी का आयोजन किया गया।

5.   13 फरबरी Feb 2016     मालिनी नदी पर चौकीघाट पर निर्मित गर्डर पुल का उदघाटन श्री हरीश रावत माननीय मुख्य मंत्री उत्तराखण्ड दवारा किया गया।

6.   27 फरबरी 2016    समिती के चुनाव मे ले0 कमाण्डर वी0एस0 रावत को 3 वर्ष के लिए सर्वसम्मति से अध्यक्ष चुना गया।

7.   मार्च 2016     कण्वाश्रम पर एक वेब साईट बनाने का कार्य प्रारम्ब किया गया।.

8.    मार्च 2016     मालिनी नदी की सजीव सुन्दरता का चित्रण करने के लिए वेब साईट बनाने वाले दल दवारा मालिनी घाटी मे एक भ्रमण का आयोजन किया गया।

9.   15 मई 2016     15th मई 2016 कण्वाश्रम पर निर्मित वेब साईट का उदघाटन श्री धन्नज्य चतुर्वेदी, उपर जिला जज, कोटदवार दवारा किया गया

संदेश
Lt. Cdr Virender Raw
ले0 कमाण्डर वी0एस0 रावत

(आध्यक्ष कण्वाश्रम विकास समिति)



इस देश का इस से बडा दुर्भाग्य क्या हो सकता है कि उसके पास इस देश के जनक “चक्रर्वती स्रमाठ भरत” को उसके नागरिको दारा श्रद्धाजंली देने के लिए कोई स्मारक तक नही है।

वीडिओ