होम | कण्वाश्रम कैसे पहुँचे | A - Z Index
facebook

मेला : वसन्त पंचमी


    मालिनी नदी के बाये तट पर चौकीघाट नामक स्थान पर 1956 मे वसन्त पंचमी को कण्वाश्रम की भौगोलिक स्तिथी दर्शाते हुए एक संकेतिक स्मारक का अनावर्ण किया गया। चौकीघाट, उत्तराखण्ड मे कोटदार शहर से 11 कि0मि की दूरी पर स्तिथ है। स्मारक का उदधाटन उस समय उत्तर प्रदेश के त्तकालीन वन मंत्री जगमोहन सिंह नेगी ने किया। स्मारक मे संस्कृत मे लिखे शिलापट्ट मे जन मानस का आहवान किया गया है कि

Shlok_image

    " यदि आप के मन मे भरत भूमी मे जन्म लेने का तथा इसकी प्राचीन समृद्धि के बारे मे ज़रा भी गर्व है तो हे सज्जन पुरूष कुछ समय के लिए तुम इस पवित्र मालिनी नदी के तट पर रूक कर कण्वाश्रम मे भरत के पितरों का स्मरण करो जिन्होंने इस सारे विश्व मे ज्ञान की रौशनी प्रदान कर अज्ञान रूपी अंधकार को दूर किया। जिस प्रकार पशु को अपने अतीत के गौरव का ज्ञान नही है, हमें निरन्तर प्रयत्न करना चाहिये कि हम उसके जैसे न बने। संसार से द्वेष, बुराई और आपसी भेदभाव को मिटा कर विश्व मैत्री का सम्मान कर पंचशील का पालन करे। "

    मेले के उदधाटन के उपरान्त इस क्षेत्र, जिसे भाबर कहते है, मे एक नयी परम्परा ने जन्म लिया। इस मे इस क्षेत्र मे बसन्त पंच्मी के मालिनी नदी के तट पर हर वर्ष एक मेले का आयोजन किया जाने लगा। मेला कण्वाश्रम विकास समिति के दवारा तथा उसके मार्गदर्शन मे आयोजित किया जाने लगा। क्षेत्र के प्रतिष्ठित लोगो ने स्मारक की देख रेख का काम स्वेच्छापूर्वक करने का निर्णय लिया। मेले के समय क्षेत्रिय संस्कृतिक दलो तथा स्कूलो के बच्चो दवारा अनेकों क्रार्यकम परस्तुत किये जाते है। इस के अतिरिकत अनेक व्यापारी अपनी दुकाने सजाते है जौ कि महिलाओं और बच्चो मे आकषर्ण का केन्द्र होती हैं। 1964 मे कण्वाश्रम मेले को पौडी गढवाल की जिला परिशद ने मान्यता प्रदान कर दी। इस से मेले के आयोजन मे जहॉ कुछ धन राशी देने के अलावा सरकार के विभिन्न विभाग जैसे कृषी, स्वास्थ, बागवानी इत्यादि दारा इस 7 दिवस के मेले मे स्टाल लगा कर ग्रामीणों को लाभदायक जनकारी उपल्भद की जाने लगी।

    पिछले 60 वर्षो मेले के आकार तथा स्वरूप मे कई बदलाव आये हैं पर एक चीज जो नही बदली है वो है मेले मे जलेबी का बनना तथा बिकना जो कि सभी जनो दारा बडे चाव से खायी जाती है। मेला चक्रवर्ती सम्राठ भरत की जन्म स्थली को चिन्हित कर गौरवान्ति करता है। उत्तराखण्ड के मुख्य मंत्रियो ने अब इस मेलो को अपने वार्षिक कार्यक्रम मे सम्मलित कर लिया है। उनके दवारा हर वर्ष कण्वाश्रम को राष्टी़य पर्यटक स्थल बनाने के सम्बन्ध मे घोषणा की जाती है पर दुर्भाग्यवश शासन दारा कोई कार्यवाही नही की जाती है। कण्वाश्रम विकास समिति के प्रयासो के बावजूद धरातल पर कोई ठोस काम नही हुआ है।